“प्रशासन की तत्परता ने बचाई माँ-बच्चे की जान: गडचिरोली के दुर्गम क्षेत्र की प्रेरक कहानी”

गडचिरोली, 29 मई 2025: एटापल्ली तालुका के अति-दुर्गम वाडसकला गाँव की 22 वर्षीय वीणा वासुदेव पोटवी की प्रसव तिथि बीत जाने के बावजूद वे अस्पताल आने से इनकार कर रही थीं। लेकिन जिला प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग, पुलिस और राजस्व विभाग के समन्वित और अथक प्रयासों से वीणा और उनके नवजात शिशु की जान बच गई। इस संवेदनशील और त्वरित कार्रवाई की सर्वत्र प्रशंसा हो रही है।
प्रसव तिथि बीतने के बाद भी अस्पताल आने से इनकार
वीणा पोटवी की प्रसव की अपेक्षित तारीख 21 मई 2025 थी। इसके बावजूद, वे जरावांडी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में उपचार के लिए आने को तैयार नहीं थीं। पिछले एक महीने से ’90-42 दिन मिशन’ के तहत जरावांडी के चिकित्सा अधिकारी डॉ. प्रशिल घोनमोडे, आशा कार्यकर्ता मीना आतला और स्वास्थ्य कार्यकर्ता सुनंदा आतला नियमित रूप से उनके घर जाकर जाँच कर रहे थे। 15 मई 2025 से सुनंदा आतला और मीना आतला ने प्रतिदिन उनके घर जाकर स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान कीं। फिर भी, वीणा और उनके परिवार ने अस्पताल जाने से स्पष्ट इनकार कर दिया।
डॉ. घोनमोडे ने कई बार वीणा की जाँच की और पाया कि पिछले 5-6 दिनों से उनके पैरों और चेहरे पर सूजन बढ़ रही थी, साथ ही रक्तचाप भी बढ़ रहा था। ये लक्षण माँ और बच्चे के जीवन के लिए खतरा पैदा कर सकते थे। डॉ. घोनमोडे ने इस गंभीर स्थिति को वीणा और उनके परिवार को समझाने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने अस्पताल जाने से इनकार कर दिया।
प्रशासन ने लिया त्वरित एक्शन
26 मई 2025 को डॉ. घोनमोडे, सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी ज्ञानेश्वर गिरहे और सुनंदा आतला ने फिर से वीणा के घर जाकर जाँच की। इस बार उनके चेहरे और पैरों की सूजन और रक्तचाप में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई। स्थिति और गंभीर होने के बावजूद, वीणा और उनके परिवार ने अस्पताल जाने से मना कर दिया। डॉ. घोनमोडे ने तुरंत इसकी जानकारी तालुका स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. भूषण चौधरी को दी।
डॉ. चौधरी ने तत्काल उप-विभागीय अधिकारी और सहायक जिला कलेक्टर नमन गोयल, तहसीलदार हेमंत गांगुर्डे, उप-विभागीय पुलिस अधिकारी जगदीश पांडे और समूह विकास अधिकारी आदिनाथ आंधळे से संपर्क किया। इन सभी ने समन्वय के साथ जरावांडी पुलिस स्टेशन की मदद से त्वरित कार्रवाई की।
पुलिस और राजस्व विभाग का सहयोग
जरावांडी पुलिस स्टेशन के पुलिस निरीक्षक श्री मोहिते, पुलिस उप-निरीक्षक श्रीमती चव्हाण, श्रीमती इंगोले, एस. बी. तेलामी और राजस्व कर्मचारी सोपान उईके ने तुरंत वीणा के घर जाकर उनकी और उनके परिवार की समझाइश की। उन्होंने वीणा को जरावांडी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुँचाया और परिवार को आर्थिक सहायता भी प्रदान की। इस संवेदनशील दृष्टिकोण से परिवार का विश्वास जीतना संभव हुआ।
उपचार और सफल परिणाम
जरावांडी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में वीणा की जाँच के बाद प्राथमिक उपचार दिया गया। इसके बाद, आगे के उपचार के लिए उन्हें तुरंत गडचिरोली के जिला महिला अस्पताल में स्थानांतरित किया गया। समय पर उपचार के कारण वीणा और उनके बच्चे की जान बच गई। इस सफल प्रयास के लिए प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की सराहना हो रही है।
सरकारी योजनाओं का लाभ
महाराष्ट्र सरकार और जिला परिषद का स्वास्थ्य विभाग ‘100 प्रतिशत संस्थागत प्रसव’ के लक्ष्य के लिए निरंतर प्रयासरत है। गर्भवती माताओं को जननी सुरक्षा योजना, प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना और मानव विकास कार्यक्रम के तहत मजदूरी क्षतिपूर्ति योजना जैसी योजनाओं का लाभ प्रदान करने के लिए विशेष ध्यान दिया जा रहा है। इन योजनाओं से गर्भवती माताओं और उनके परिवारों को आर्थिक और चिकित्सीय सहायता मिलती है।
सामूहिक प्रयासों की जीत
इस पूरी घटना में जरावांडी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के सभी कर्मचारी, डॉ. प्रशिल घोनमोडे, सुनंदा आतला, मीना आतला, ज्ञानेश्वर गिरहे, तालुका और जिला प्रशासन, पुलिस और राजस्व विभाग के समन्वय से यह यशोगाथा संभव हुई। अति-दुर्गम क्षेत्रों में भी स्वास्थ्य सेवाएँ पहुँचाने के लिए प्रशासन की प्रतिबद्धता और संवेदनशीलता ने माँ और बच्चे की जान बचाई।
इस घटना ने गडचिरोली के स्वास्थ्य और प्रशासकीय तंत्र की कार्यक्षमता और मानवीय दृष्टिकोण को एक बार फिर रेखांकित किया है।