गडचिरोली में धान बोनस वितरण में देरी: घोटाले के आरोपों ने बढ़ाया किसानों का गुस्सा

गडचिरोली, 28 मई 2025: महाराष्ट्र के प्रमुख धान उत्पादक जिले गडचिरोली में किसानों को प्रति हेक्टेयर 20,000 रुपये के धान बोनस का इंतजार लंबा खिंच रहा है। राज्य सरकार ने 25 मार्च 2025 को इस बोनस की घोषणा की थी, लेकिन मई के अंत तक भी कई किसानों के बैंक खातों में यह राशि जमा नहीं हुई है। इस देरी के साथ-साथ चामोर्शी तालुका में कथित बोनस घोटाले के आरोपों ने जिले में हलचल मचा दी है। किसानों में बढ़ता असंतोष और प्रशासनिक लापरवाही अब चर्चा का केंद्र बन चुके हैं।
देरी के कारण
महाराष्ट्र सरकार ने 2024-25 के खरीप सीजन के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) योजना के तहत पंजीकृत किसानों को दो हेक्टेयर की सीमा तक प्रति हेक्टेयर 20,000 रुपये का बोनस देने का वादा किया था। गडचिरोली में इस साल 88,500 किसानों ने बोनस के लिए पंजीकरण कराया, जो पिछले साल की तुलना में 14,000 अधिक है। इनमें से 45,500 पंजीकरण आदिवासी विकास महामंडल के पास और 43,000 जिला मार्केटिंग फेडरेशन के पास हैं। लेकिन बोनस वितरण में देरी के पीछे निम्नलिखित कारण हैं:
- डुप्लिकेट पंजीकरण और सत्यापन: कई किसानों ने आदिवासी विकास महामंडल और जिला मार्केटिंग फेडरेशन दोनों के पास पंजीकरण कराया है, जिसके कारण डुप्लिकेट पंजीकरण की समस्या उत्पन्न हुई है। इस सूची को साफ करने के लिए सत्यापन प्रक्रिया चल रही है, जिसके चलते देरी हो रही है। गडचिरोली में लगभग 25,000 नाम हटाए जाने की संभावना है।
- तकनीकी समस्याएं: बोनस की राशि डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) के जरिए किसानों के बैंक खातों में जमा की जानी है। लेकिन आधार लिंकिंग और बैंक खाता विवरण में त्रुटियों के कारण कई किसानों की राशि जमा नहीं हो पा रही है।
- प्रशासनिक लापरवाही: स्थानीय प्रशासन और जिला मार्केटिंग फेडरेशन के बीच समन्वय की कमी साफ दिखाई दे रही है। चामोर्शी में कथित घोटाले की शिकायतों पर त्वरित कार्रवाई न होने से प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं।
- धान खरीद केंद्रों में देरी: गडचिरोली में ग्रीष्मकालीन धान खरीद केंद्र देर से शुरू हुए, जिसके कारण किसानों को अपनी उपज बेचने में कठिनाई हुई। इससे बोनस वितरण की प्रक्रिया पर भी असर पड़ा।
चामोर्शी में घोटाले की खलबली
चामोर्शी तालुका, जो जिले का सबसे बड़ा धान उत्पादक क्षेत्र है, वहां कथित बोनस घोटाले ने सनसनी फैला दी है। पार्षद आशीष पिपरे ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को शिकायत की कि भूमिहीन व्यक्तियों के नाम पर फर्जी खाते बनाकर 40,000 रुपये की राशि जमा की गई और बाद में इसे अन्य खातों में हस्तांतरित कर दिया गया। इस घोटाले का दायरा 200 करोड़ रुपये तक होने का आरोप है।
जिल्हाधिकारी अविश्यांत पंडा ने उपविभागीय अधिकारी की अध्यक्षता में चार सदस्यीय जांच समिति गठित की है। समिति ने केवल 16 लोगों की जांच में बड़ा घपला उजागर किया है और पूरे तालुका में इससे भी बड़े घोटाले की आशंका जताई जा रही है। जिला मार्केटिंग अधिकारियों को चामोर्शी खरीद-बिक्री संघ के पदाधिकारियों के खिलाफ FIR दर्ज करने के निर्देश दिए गए हैं, लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।
किसानों पर प्रभाव
- आर्थिक संकट: बोनस की राशि का इंतजार कर रहे किसान आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं। बेमौसम बारिश के कारण हुए नुकसान ने उनकी स्थिति और खराब कर दी है। बोनस में देरी के कारण खाद, बीज और अन्य खेती खर्चों के लिए कर्ज लेना पड़ रहा है।
- असंतोष और आंदोलन: गडचिरोली के किसानों में भारी नाराजगी है। कई किसान संगठनों ने आंदोलन और ज्ञापन सौंपने की तैयारी शुरू कर दी है।
- अगले सीजन पर असर: बोनस पर निर्भर किसानों को अगले सीजन की तैयारी में मुश्किल हो रही है, जिससे खेती की उत्पादकता पर असर पड़ सकता है।
सरकारी प्रयास और अपेक्षाएं
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने विधानमंडल में धान बोनस के लिए 1,800 करोड़ रुपये की मंजूरी की घोषणा की थी। जिल्हाधिकारी अविश्यांत पंडा ने सत्यापन प्रक्रिया को तेज करने के लिए विशेष टीमें गठित की हैं और जल्द ही बोनस वितरण पूरा होने का आश्वासन दिया है। चामोर्शी घोटाले की जांच के लिए कठोर कार्रवाई के निर्देश भी दिए गए हैं।
किसानों से अपील
किसानों से अनुरोध किया गया है कि वे अपने बैंक खाते और आधार विवरण को अपडेट करें। साथ ही, स्थानीय आदिवासी विकास महामंडल और जिला मार्केटिंग फेडरेशन कार्यालयों से संपर्क कर पंजीकरण विवरण की जांच करें।
गडचिरोली में धान बोनस वितरण में देरी और चामोर्शी में घोटाले के आरोपों ने किसानों का भरोसा तोड़ा है। सरकार को तत्काल सत्यापन प्रक्रिया पूरी कर बोनस वितरण में तेजी लानी होगी। साथ ही, घोटाले के दोषियों पर सख्त कार्रवाई से ही किसानों का विश्वास बहाल हो सकता है।